Monday, June 28, 2010

घर की बीवी का परिचय

बचपन से मेरे मन में एक ही प्रश्न उठता रहा है क्या पूरी ज़िंदगी कोई भी स्त्री एक पल के लिए भी अपने लिए जीती है? जिसका जवाब मुझे आज तक नहीं मिला है.. शादी से पहले मैं जो कुछ भी करती थी या करने की इच्छा दिल में होती थी वो भाई-बहिन-मान-बाप के लिए वो भी मान-मर्यादा का विशेष ध्यान रखते हुए.. अगर कभी कोई अच्छा कार्य किया तो लोग कहते, अरे!! देखो फलां खां की बेटी ने कॉलिज टॉप किया है और मन था कि उसी से संतुष्ट हो जाता था क्यूंकि छुटपन से ही मस्तिष्क की धुलाई(ब्रेन-वाशिंग) इस तरह कर दी जाती है की क्यूँ क्या का सवाल ही नहीं उठता .. अब जब से शादी हुई तो सोच को और विस्तार मिला वो यूँ कि अब एक और उपाधि मिल चुकी है मैडम फ़ारूकी... ये कोई नहीं जानता कि आशकारा ख़ानम कहाँ गयी बेचारी !!!! अब मैडम फ़ारूकी को दिन भर यह सोचते गुज़र जाता है उनके किसी एक्ट से मि. फ़ारूकी नाराज़ न हो जाएँ या उनको किस तरह खुश रखा जाए...
इसके अतिरिक्त एक तमगा और प्राप्त हुआ जो कि हमारे परिचय का विशेष हिस्सा है.. फ़ारूकी सहा कहीं लेकर जाते हैं तो क्या बोलते है..."इनसे मिलिए मेरी वाइफ हैं.जवाब में सवाल होता है..जी अच्छा ! क्या करती हैं?" फ़ारूकी साहब मुस्कुराते हुए (सकुचाने की एक्टिंग करते हुए) जवाब देते हैं हाउस-वाइफ हैं. अब मैं कन्फ्यूज़ !!! अरे मैं किसकी पत्नी हूँ हाउस की या फ़ारूकी साहब की और आगे मेरा नाम भी पूछने की ख्वाहिश सामने वाला ज़ाहिर नहीं करता.. क्यूंकि उनकी नज़रों में परिचय पूर्ण हो चुका है हाउस-वाइफ शब्द-युग्म कानों में पड़ते ही उनका मज़ीद इंटरेस्ट जो ख़त्म हो गया.. क्यूंकि हाउस-वाइफ का शेड्यूल सभी को पता है. पूछे क्या और बताएं क्या? संभावित डिस्कशन तो वर्किंग लोगों के बीच ही हो सकता न... बाक़ी आइन्दाह
खुदा हाफ़िज़

11 comments:

  1. बहुत अच्छे!!
    घर में छुपा रखे है रुस्तम हमने.
    सिकंदर बनना है तो घर से निकलो.

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  2. apni pehchan ki koshish acchi baat hai yeh her us aurat ke jajbaat ko zahir karta hai jo "ghar ki biwi hai". Keep it up.

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  3. A thought provoking write up, especially how men look at their better halves.

    Keep it up
    regards
    dalbir

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  4. @ dalbir
    दलबीर भाई साहेब पतिदेव से आप का परिचय मिल चुका है.
    मैं इस मिथक को तोड़ने में प्रयासरत हूँ कि क्या पुलिस वालों में भी अक़ल होती है?
    क्यूंकि जिस परिवेश में हम दिल्ली में रह रहें हैं. वहाँ लोग चौंक कर पूछते हैं क्या आप पुलिस से ताल्लुक रखते हैं.. मतलब कि पुलिस वालों का तथा-कथित बुद्धिजीवियों के क्षेत्र से क्या वास्ता. हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया..

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  5. being house wife,it is the toughest job one can perform and you should be proud of it.

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  6. @ Platinum Enclave Sector 18 Rohini
    Thank you very much for appriciation.

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  7. रचनाकार की कसौटी उसकी रचना होती है न की इस मुल्क का 'भ्रष्ट' सामाजिक,राजनैतिक,शैक्षणिक,सांस्कृतिक व् साहित्यिक तंत्र जो केवल और केवल 'अपने' और पराये का मानदंड रखता है.
    आपको व्यस्तता बस पूरा नहीं पढ़ पाया हूँ पर जितना पढ़ा उसमे रचना का लालित्य दिखाई दे रहा है साधुबाद.
    डॉ. लाल रत्नाकर
    www.ratnakarsart.com

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  8. आपके शब्दों में छिपी टीस समझ सकता हूँ। यह हमारे समाज की बड़ी खामियों में एक है। हालाँकि हम आशकारा ख़ानम साहिबा से उनकी शायरी के ज़रिए मुतास्सिर हुए और बहुत बाद में जाना कि फ़ारूक़ी साहब आपके हसबैंड हैं।

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